Rajani katare

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घुघटा डारे सजनी - बुंदेली भाषा

                  " घूंघटा डारे सजनी" बुंदेली भाषा


घुंघटा डारे सजनी,
झीनी झीनी चुनरिया,
मंद मंद मुस्कानी,

झांक रही घुंघटा डारे,
मांग सिंदूर होंठों पे लाली,
चुनरी फुलकारी ओढ़े,

लाज शर्म की मारी,
अंखियां भिच गयीं,
हो रही पानी पानी,

लाल लौल कपौल,
झूले लट उलझी सी,
सजना ठांड़ें करें मंखौल,

नयना गौरी कजरारे,
अंखियन झांक रही, 
देखे कंखियन धारे,

बांको गबरु जवान,
कैसो छैल छबीलो,
मेरो घर वारो कहान,

घुंघटा डारे सजनी,
झीनी झीनी चुनरिया,
मंद मंद मुस्कानी ।

    काव्य रचना-रजनी कटारे
        जबलपुर ( म.प्र.)

मुख चित्र--
गूगल से साभार

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2 Comments

Punam verma

06-May-2022 04:48 PM

Very nice

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Niraj Pandey

02-Nov-2021 04:17 PM

बहुत ही बेहतरीन

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